रिमझिम रिमझिम




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शीर्षक:  🌹रिमझिम रिमझिम 🌹

रिमझिम रिमझिम बरसे पानी।
श्यामल धरती हुई धानी।
जैसे जीवन की कहानी,
फिर पनपने लगी।
पेड़ पौधे मुस्कराए।
फिर से नया जीवन पाए।
जैसे खड़े सिर झुकाए,
कुछ कहने लगे।
निखरी छटा है निराली।
छाई घटा मतवाली।
जैसे दृश्य खुशहाली,
के उभरने लगे।
हुई प्रकृति खुशहाल।
भरे नदी , पोखर, ताल।
जैसे झरने हों निहाल,
खुद ही  बहने लगे।
मेघ कारे कारे छाए।
न्योता धरती को पठाए।
कैसे इंद्रधनुष लाए,
रंग भरने लगे।
नन्हीं नन्हीं बूंद बरसे।
मन भीगने को तरसे।
जैसे लोभी मन हरषे।
मचलने लगे।
पिया बसे परदेश।
मेघ लाते संदेश।
जैसे बन के विशेष,
पवन बहने लगे।
हैरां मन में उमंग।
भरे गोरी अंग अंग।
जैसे खुद ही अनंग,
रूप धरने लगे 
 

नरसिंह हैरान जौनपुरी मुंबई

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7 Comments

Punam verma

24-Jun-2022 11:16 AM

Nice

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Shrishti pandey

24-Jun-2022 10:37 AM

Nice

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Abhinav ji

24-Jun-2022 07:36 AM

Nice👍

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